Quantcast
Channel: शिवना प्रकाशन
Viewing all 165 articles
Browse latest View live

आसान अरूज़, ग़ज़ल के छंद विधान तथा तकनीकी जानकारी पर डॉ आज़म की लिखी एक मुकम्‍मल पुस्‍तक

$
0
0

बहुत दिनों से प्रकाशन इस प्रयास में था कि हिंदी में ग़ज़ल कह रहे ग़ज़लकारों के लिये देवनागरी में ही एक ऐसी पुस्‍तक हो जिसमें ग़ज़ल से संबंधित सम्‍पूर्ण तकनीकी जानकारी उपलब्‍ध हो । उर्दू में तो इस प्रकार की कई पुस्‍तकें हैं लेकिन हिंदी में कोई सम्‍पूर्ण पुस्‍तक नहीं है । इस काम को पूरा करने का बीड़ा उठाया हिंदी और उर्दू के साथ साथ ग़ज़ल पर समान अधिकार रखने वाले शायर डॉ आज़म ने । पुस्‍तक पर वे पिछले दो सालों से काम कर रहे थे । और होते होते ये पुस्‍तक अब एक मोटे ग्रंथ की शक्‍ल ले चुकी है । आसान अरूज़ के नाम से प्रकाशित ये पुस्‍तक हिंदी में ग़ज़ल कहने वालों के लिये एक मुकम्‍मल ग्रंथ है । जिसमें लगभग सारे  प्रश्‍नों के उत्‍तर मिल जाएंगे और वो भी आसान तरीके से । पुस्‍तक का प्रारंभ में सीमित संस्‍करण छापा जा रहा है । पुस्‍तक को मिलने वाले प्रतिसाद के बाद और प्रकाशित किया जायेगा ।

पुस्‍तक की जानकारी

नाम - आसान अरूज़ ( ग़ज़ल का छंद विधान तथा तकनीकी जानकारी )

लेखक - डॉ. आज़म ( सुकून, आई-193, पंचवटी कॉलोनी, एयरपोर्ट रोड, भोपाल, 426030, दूरभाष 09827531331)

मूल्‍य - 300 रुपये

पृष्‍ठ संख्‍या – 196 हार्ड बाउंड

ISBN -978-93-81520-02-4

प्रकाशक - शिवना प्रकाशन, पीसी लैब, सम्राट कॉम्‍प्‍लैक्‍स बेसमेंट, बस स्‍टैंड के सामने, सीहोर, म.प्र. 466001 दूरभाष 07562405545

aasan arooz lock


बिखरे हैं स्वर्ग चारों तरफ : समीक्षा दिगंबर नासवा

$
0
0

bikhre hain swarg (1) Copy of bikhre hain swargDN-Anita

“बिखरे हैं स्वर्ग चारों तरफ” डॉ उर्मिला सिंह, (ब्लॉग: “मन के-मनके”) के अपने शब्दों में “यह पुस्तक एक खोज है, उस स्वर्ग की जो हमारी मुट्ठी में बंद है” वो आगे लिखती हैं “मैंने अपने स्वर्ग को स्वयं ढूँढा है, स्वयं रचा है और उसे पाया है”.
और सच कहूं तो जब मैंने इस पुस्तक को पढ़ने की शुरुआत की तो मुझे भी लगा की वाकई स्वर्ग तो हमारे आस पास ही बिखरा हुवा है छोटी छोटी खुशियों में, पर हम उसे ढूंढते रहते हैं, खोजते रहते हैं मृग की तरह.
अपनी शुरूआती कविता में उर्मिला जी कहती हैं की स्वर्ग खोजने बहुत दूर जाने की जरूरत नहीं है ये तो आस पास ही फैला है, देखिये ...   
सूनी गोद में
किलकारियां भरते हुए
अनाथ बचपन को
आँचल से ढंकते हुए
बिखरे हैं, स्वर्ग
चारों.....तरफ

आगे आगे उनका कवी मन सचेत भी करता है, यहां तक की अपने आप से भी प्रश्न खड़ा करता है और कहता है
अपने निज अस्तित्व की खोज में
अपनत्व के खंडहरों पर चलते रहे
बहुत देर हो जाएगी और ....
खंडहरों के भी रेगिस्तान हो जाएंगे
ढहता हुवे टीला, रेत का
दबी फुसफुसाहटों में
कहता रह जाएगा..
बिखरे...हैं स्वर्ग
चारों...तरफ

मुझे याद आता है जब पहली बार हमारे मोहल्ले में ब्लैक एंड वाईट टी.वी. आया तो तो हम भी इतने खुश थे जैसे वो हमारे घर में आया हो. हफ्ते में एक दिन आने वाला चित्रहार और कृषि दर्शन भी ऐसे देखते की बस इससे ज्यादा कोई खुशी ही नहीं जीवन में. और आज जबकि सब कुछ है सब के पास फिर भी इतनी खुशी नहीं ... शायद इस लिए ही उर्मिला जी ने कहा है की खुशी ढूंढनी है तो बाहर निकलो अपने आप से और महसूस करो ...
पुस्तक की अधिकाँश कविताएं इन्ही बिखरे हुवे स्वर्ग की तलाश है ... हर कविता आपको जागृत करती हुयी सी है की ये देखो स्वर्ग यहां है ... यहां है ... और यहां भी है ... यहां उन सब कविताओं को लिख के आपका मज़ा खराब नहीं करना चाहता ...
आपको एक किस्सा सुनाता हूँ जानकार आश्चर्य होगा किताब पढ़ने के बाद ... मैंने बिल्डिंग के कुछ बच्चों से पूछा की मुझे अपने बचपन की कुछ यादें बताओ जिनसे तुम्हे खुशी मिली हो और जो तुम्हें याद हो तो उनके पास कुछ जन्म दिन की यादें, कुछ अपने स्कूल की बातें, और बहुत जोर डालने पे जहां जहां घूमने गए उन जगहों की बाते ही याद थीं ... फिर जब उन्होंने मुझसे पूछा तो लगा मेरे पास तो जैसे हजारों यादें हैं बचपन की ... छोटी छोटी बातें जिनमें जीवन का स्वर्ग सच में था ... छत पे बिस्तर लगा कर सोना, तारों और बादलों में शक्लें बनाना, गिल्ली डंडा और लट्टू खेलना, छुट्टियों में मामा या बूआ के घर जाना, आम चूपना, गन्ने चूसना, मधुमक्खी के छत्ते तोड़ना, बिजली जाने पे ऊधम मचाना, होली की टोलियाँ बनाना ... और देखा ... बच्चे बोर हो के चले गए अपने अपने फेस बुक पे ...   
असल बात तो ये है की स्वर्ग की पहचान भी नहीं हो पाती कभी कभी और इसलिए उर्मिला जी कहती हैं ...
स्वर्ग पाने से पहले
पहचान उसकी है जरूरी
स्वर्ग के भेष में, छुपे हैं
चारों तरफ कितने बहरूपिए

अगर गौर से देखें तो स्वर्ग तो पहले भी हमारे पास था और आज भी हमारे पास ही है बस हमें ढूँढना होगा छोटी छोटी खुशियों में.
इस पुस्तक के माध्यम से उर्मिला जी सचेत करना चाहती हैं की जागो, देखो आस पास की वो सभी चीजें जिनमें स्वर्ग की आभा सिमिट आई है, वो दिखाना चाहती हैं की कौन से पल हैं जीवन में जिनमें स्वर्ग पाया जा सकता है पर जाने अनजाने उन लम्हों कों देख नहीं पाते.
मैं अपने आपको खुशकिस्मत समझता हूँ की मुझे उर्मिला जी की ये किताब पढ़ने का मौका मिला, अपने बच्चों कों भी आग्रह कर के पढ़ने को कहा है जिससे वो भी जान सकें की “बिखरे हैं स्वर्ग चारों तरफ”
पुस्तक का प्रकाशन “शिवना प्रकाशन पी सी लैब, सम्राट काम्प्लेक्स बेसमेंट, बस स्टैंड, सीहोर – ४६६००१ (म.प्र)” से हुवा है मूल्य १२५ रूपये.

आप इसे उर्मिला जी से भी प्राप्त कर सकते हैं. उनका ई मेल है ...
ईमेल: urmila.singh1947@gmail.com
Mobile: +91-8958311465

श्री दिगंबार नासवा के ब्‍लाग स्‍वप्‍न मेरे http://swapnmere.blogspot.in/2012/06/blog-post_27.htmlसे साभार ।

उत्‍तराखंड के राज्‍यपाल महामहिम श्री अज़ीज़ क़ुरैशी जी ने शिवना प्रकाशन की डॉ आज़म लिखित पुस्‍तक आसान अरूज़ का भोपाल के शहीद भवन में आयोजित कार्यक्रम में विमोचन किया ।

‘‘आसान अरूज़’’ बहुत ज़रूरी था इस किताब का आना

$
0
0

aasan arooz shivna prakashan corel 15

पाँच साल पहले जब इंटरनेट और ब्लाग की दुनिया में क़दम रखा तो वहाँ ग़ज़लों को लेकर बहुत निराशाजनक वातावरण था । जिस ग़ज़ल में बह्र और कहन तो दूर की बात, रदीफ़ और क़ाफ़िया तक नहीं दुरुस्त थे उस पर पचास पचास टिप्पणियाँ आ रही थीं और हर टिप्पणी में एक ही बात लिखी होती थी, ‘‘वाह क्या बात है’’, ‘‘बहुत उम्दा’’, आदि आदि । पढ़ कर, देख कर क्रोध भी आता था और निराशा भी होती थी । मगर फिर ये भी लगता था कि ये जो ग़ज़लें कही, सुनी और सराही जा रही हैं ये हिंदी ग़ज़लें हैं । इन ग़ज़लों को कहने वाले वे लोग हैं जो उर्दू नहीं जानते और ग़ज़ल का छंद शास्त्र या अरूज़ की सारी मुकम्मल पुस्तकें उर्दू लिपि में ही हैं । हाँ इधर कुछ एकाध पुस्तकें देवनागरी में आईं अवश्य, लेकिन उनको मुकम्मल नहीं कहा जा सकता, वे केवल बहुत प्रारंभिक ज्ञान देने वाली पुस्तकें रहीं । ऐसे में क्रोध करने से ज़्यादा बेहतर लगा कि स्थिति को बदलने का प्रयास किया जाये । स्थिति को बदलने का प्रयास करने के लिये ही अपने ब्लाग पर अरूज़ की जानकारी देनी प्रारंभ की । फिर ये लगा कि ये जानकारी भी कितने लोगों तक पहुँच पा रही है, केवल उतने ही लोगों तक जो कि इंटरनेट से जुड़े हैं । जिनको कम्प्यूटर का ज्ञान है । ऐसे लोगों की संख्या बहुत बढ़ी तो है मगर आज भी हर कोई इंटरनेट और कम्प्यूटर से भिज्ञ नहीं है । तो फिर क्या किया जाये । इधर हिंदी में ग़ज़ल की लोकप्रियता बढ़ती जा रही है । हर कोई ग़ज़ल कहना चाहता है, हिंदी की ग़ज़ल । ज़ाहिर सी बात है ग़ज़ल में जो स्वतंत्रता है वो सभी को आकर्षित करती है । विषय को पूरी कविता तक साधने का कोई बंधन नहीं है, शेर ख़त्म बात ख़त्म, अब अगले शेर में कुछ और कहा जाये । मगर बात तो वही है कि हिंदी में ग़ज़लकार तो बढ़े और अच्छी ख़ासी संख्या में बढ़े, लेकिन इन सबके बाद भी कोई ऐसी प्रमाणिक तथा सम्पूर्ण पुस्तक देवनागरी में नहीं आई जो इन नवग़ज़लकारों को न केवल मार्गदर्शन दे, बल्कि इनका स्थापित शाइर बनने तक का रास्ता भी प्रशस्त करे । इसलिये भी, क्योंकि इन नवग़ज़लकारों में कई अपनी कहन में संभावनाओं की चमक दिखा रहे हैं तथा यदि कहन की इस चमक में इल्मे अरूज़ का स्पर्श और हो जाये तो बात वही सोने पे सुहागा वाली हो जायेगी । हिंदी में उर्दू की तरह कोई समृद्ध तथा सुदृढ़, उस्ताद शागिर्द परंपरा भी नहीं है जिसका लाभ नव ग़ज़लकारों को मिल सके । ऐसे में अब इन नवग़ज़लकारों के पास एक ही रास्ता शेष रहता था कि पहले ये उर्दू लिपि सीखें और उसके बाद उर्दू लिपि में उपलब्ध इल्मे अरूज़ की पुस्तकों का अध्ययन करें । उसमें भी ये दिक़्क़त कि इल्मे अरूज़ पर जो पुस्तकें उर्दू में भी उपलब्ध हैं वो इतनी आसान नहीं हैं कि आपने पढ़ीं और आपको ग़ज़ल कहने का फ़न आ गया । यक़ीनन उर्दू लिपि में जो पुस्तकें हैं वो इल्मे अरूज़ पर ज्ञान का भंडार हैं लेकिन नवग़ज़लकारों को चाहिये वो सब कुछ आसान लहज़े में । और यहीं से विचार जन्म लिया ‘‘आसान अरूज़’’ का । ‘‘आसान अरूज़’’, एक ऐसी पुस्तक जो न केवल देवनागरी लिपि में हो, बल्कि जो बहुत आसान, बहुत सरल तरीके से अरूज़ को सिखाए । ऐसी पुस्तक जो केवल और केवल किसी उर्दू में उपलब्ध पुस्तक का अनुवाद न हो बल्कि कई कई पुस्तकों के ज्ञान का निचोड़ जिसमें हो । कई बार केवल अनुवाद भर कर देने से चीज़ें और भी ज़्यादा क्लिष्ट हो जाती हैं तथा समझने में परेशानी होती है । कुल मिलाकर बात ये कि जो विचार ‘‘आसान अरूज़’’ के नाम से जन्मा था वो अपने नाम के अनुरूप आसान नहीं था ।
इस ‘‘आसान अरूज़’’ को जो लोग आसान बना सकते थे उनमें कुछ ही नाम नज़र आये और सबसे मुफ़ीद नाम उनमें से अपने मित्र तथा बहुत अच्छे शायर डॉ. आज़म का लगा । इसलिये भी कि इल्मे अरूज़ पर उन्हें अच्छी महारत हासिल है तथा उन्होंने सीखते रहने की प्रक्रिया को कभी ठंडा नहीं पड़ने दिया । इल्मे अरूज़ पर अपने अध्ययन के माध्यम से ही उन्होंने ये महारत हासिल की । आज वे एक उस्ताद शायर हैं क्योंकि फेसबुक के माध्यम से कई समूहों से जुड़े हैं तथा देश विदेश के ग़ज़लकार उनसे इस्लाह लेते हैं । डॉ. आज़म का नाम आसान अरूज़ के लिये सबसे बेहतर लगने के पीछे एक महत्वपूर्ण कारण और भी था । वो कारण था हिंदी भाषा पर भी उनकी अद्भुत पकड़ तथा हिंदी शब्दकोष पर उनका अधिकार । वे जितने अच्छे उर्दू के ज्ञाता हैं उतने ही अच्छे हिंदी के विद्वान हैं । उस पर ये कि इल्मे अरूज़ के भी उतने ही माहिर । चूंकि पुस्तक को देवनागरी में आना है और हिंदी भाषियों के लिये आना है सो ऐसे ही किसी विद्वान की आवश्यकता थी जो उन दोनों भाषाओं को ज्ञाता हो जिनके बीच कार्य होना है साथ ही विषय का भी ज्ञाता हो । विषय का ज्ञान इसलिये आवश्यक है कि यहाँ अनुवाद नहीं होना है बल्कि सरलीकरण होना है । सरलीकरण करने के लिये विषय का ज्ञान और हिंदी भाषा का ज्ञान इस पुस्तक की सबसे आवश्यक शर्त थी । जब डॉ. आज़म से बात की तो उन्होंने भी इस विषय में अपनी सहमति देने भी बिल्कुल देर न लगाई । तो दो साल पहले इस ‘‘आसान अरूज़’’ की नींव डल गई । लेकिन जैसा मैंने पहले कहा कि ये काम पुस्तक के नाम की तरह आसान नहीं था । तो पुस्तक को यहाँ तक आने में दो साल लग गये । इस बीच पुस्तक को लेकर डॉ. आज़म ने ख़ूब जम कर काम किया । सारे संदर्भ ग्रंथ खँगाल डाले । जहाँ जो कुछ भी ऐसा मिला जो ‘‘आसान अरूज़’’ के लिये ज़ुरूरी था उसे जोड़ते गये । छोटी-छोटी जानकारियाँ जिनके बारे में कोई नहीं बताता । वो छोटी-छोटी ग़लतियाँ जिनके चलते नवग़ज़लकारों को अक्सर शर्मिंदा होना पड़ता है, उन सब को पुस्तक में समाहित करते चले गये । जुड़ने-जुड़ाने का ये सिलसिला यूँ होता गया कि पुस्तक का आकार भी बढ़ गया । जिस आकार में सोच कर चले थे उससे लगभग दुगने आकार में अब ये पुस्तक पहुँच गई है । मगर इसके फाइनल ड्राफ़्ट को जब पढ़ा तो मेहसूस हुआ कि ये पुस्तक नवग़ज़लकारों के लिये सौ तालों की एक चाबी होने जा रही है । सचमुच इस पुस्तक पर डॉ. आज़म ने बहुत परिश्रम किया है, जो पूरी पुस्तक में दिखाई देता है । ‘‘रावणकृत ताण्डव स्त्रोत’’ तथा ‘‘श्री रामचरित मानस’’ से संदर्भ उठा कर बात कहने के उदाहरण ये बताते हैं कि लेखक पुस्तक को लेकर कितना गंभीर रहा है तथा काव्य को लेकर कहाँ कहाँ पड़ताल की गई है । हिन्दी में लेखक और लेखन को धन्यवाद देने की परम्परा नहीं है, लेखक को ‘‘टेकन फार ग्रांटेड’’ लिया जाता है । लेकिन मुझे लगता है कि इस प्रकार की पुस्तकों के लिये ये परम्परा टूटनी चाहिये और लेखक को ये पता चलना चाहिये कि उसका श्रम आपके काम आ रहा है । शोध एक श्रम साध्य काम है जिसका परिणाम लेखक को नहीं बल्कि पाठक को मिलता है । इस दिशा में पहल करते हुए मैं स्वयं डॉ. आज़म का आभार व्यक्त करता हूँ कि उन्होंने ‘‘आसान अरूज़’’ को आसान बना दिया । मेरी ओर से बहुत बहुत धन्यवाद तथा पुस्तक को लेकर शुभकामनाएँ ।
                                            -पंकज सुबीर

‘‘हैं निगाहें बुलंदियों पे मेरी, क्या हुआ पांव गर ढलान पे है’’ नीरज गोस्वामी को शिवना प्रकाशन का ''सुकवि रमेश हठीला स्मृति शिवना सम्मान'' प्रदान किया गया

$
0
0

DSC_3776

हिंदी के सुप्रसिद्ध ग़ज़लकार नीरज गोस्वामी को एक गरिमामय साहित्यिक आयोजन में शिवना प्रकाशन द्वारा स्‍थापित वर्ष 2012 का ''सुकवि रमेश हठीला स्मृति शिवना सम्मान'' प्रदान किया गया । स्थानीय ब्ल्यू बर्ड स्कूल के सभागार में आयोजित कार्यक्रम के मुख्य अतिथि के रूप में विधायक श्री रमेश सक्सेना उपस्थित थे । अध्यक्षता नगरपालिका अध्यक्ष श्री नरेश मेवाड़ा ने की । विशिष्ट अतिथि के रूप में नागरिक बैंक अध्यक्ष कैलाश अग्रवाल, हिंदी सुप्रसिद्ध कवि शशिकांत यादव एवं उर्दू के मशहूर शायर श्री इक़बाल मसूद उपस्थित थे ।

DSC_3777
DSC_3789

DSC_3796

कार्यक्रम के प्रारंभ में अतिथियों का स्वागत आयोजन समिति के अध्यक्ष प्रकाश व्यास काका ने बैज लगाकर तथा सदस्यों अनिल पालीवाल, हरिओम शर्मा दाऊ, उमेश शर्मा, जयंत शाह, शैलेश तिवारी, श्रवण मावई, सुनील भालेराव, चंद्रकांत दासवानी, बब्बल गुरू  ने पुष्पगुच्छ भेंट कर  किया ।

मुम्बई के कवि नीरज गोस्वामी को सुकवि रमेश हठीला शिवना सम्मान के तहत मंगल तिलक कर एवं शाल, श्रीफल, सम्मान पत्र भेंट कर सम्मानित किया गया ।

DSC_3827

DSC_3828

DSC_3829

DSC_3830

DSC_3831

श्री गोस्वामी का परिचय शिवना प्रकाशन के  पंकज सुबीर ने प्रस्तुत किया ।

DSC_3825

इस अवसर पर शिवना प्रकाशन की ओर से शहर की साहित्यिक संस्थाओं स्मृति के श्री अम्बादत्त भारतीय, बज़्मे फरोगे उर्दू अदब के तमकीन बहादुर, हिन्दू उत्सव समिति के सतीश राठौर, अंजुमने सूफियाए उर्दू अदब के अफ़ज़ाल पठान को साहित्यिक कार्यक्रमों के सफल आयोजन हेतु प्रशस्ति पत्र प्रदान किये गये ।

DSC_3836

DSC_3840

DSC_3841

DSC_3842

कार्यक्रम के दूसरे चरण में श्री इक़बाल मसूद की अध्यक्षता में एक मुशायरे का आयोजन किया गया जियमें देश भर के शायरों ने ग़ज़लें पढ़ीं ।

DSC_3802

नई दिल्ली के सुलभ जायसवाल ने मुशायरे का प्रारंभ करते हुए ‘बेसहारा मुल्क लेकर चीखता रहता हूं मैं’ ग़ज़ल पढ़कर श्रोताओं की दाद बटोरी ।

DSC_3808

मुम्बई के अंकित सफर ने युवाओं की भावनाओं को ‘बढ़ाने दोस्ती गालों पे कुछ पिम्पल निकल आये’ के माध्यम से बखूबी व्यक्त किया ।

DSC_3810

नई दिल्ली के प्रकाश अर्श ने ‘मैं लम्हा हूं कि अर्सा हूं कि मुद्दत न जाने क्या हूं बीता जा रहा हूं’ सहित कई शेर पढ़े ।

DSC_3848

काश्मीर के कर्नल गौतम राजरिशी ने अपने शानदार अंदाज़ में ‘चांद इधर छत पर आया है थक कर नीला नीला है’ जैसी शानदार ग़ज़लें पढ़कर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया ।

DSC_3816

इन्दौर के शायर प्रदीप कांत ने ‘थोड़े अपने हिस्से हम बाकी उनके किस्से हम’ सहित छोटी बहर पर लिखी गई अपनी कई ग़ज़लें पढ़ीं।

DSC_3866

भोपाल के शायर तिलक राज कपूर ने 'जब उसे कांधा दिया दिल ने कहा' के माध्‍यम से श्रोताओं की संवेदनाओं को झकझोर दिया ।

DSC_3820

भोपाल के  डॉ सूर्या बाली ने अपनी ग़ज़ल ‘बाज़ार ने गरीबों को मारा है इन दिनों’ पढ़कर श्रोताओं की खूब दाद बटोरी ।

DSC_3854

सम्मानित कवि नीरज गोस्वामी की मुम्बइया शैली की ग़ज़लों को श्रोताओं ने खूब सराहा । ‘जिसको चाहे टपका दे, रब तो है इक डान भीडू’ तथा ‘क्या हुआ पांव गर ढलान पर है’  शेरों  को श्रोताओं ने खूब पसंद किया । उन्होंने तरन्नुम में भी कुछ ग़ज़लें पढ़ीं ।

DSC_3871

मुशायरे का संचालन कर रहे शायर डॉ आज़म ने अपनी ग़ज़ल ‘अजब हाल में महफिलें हैं अदब की’ पढ़ी ।

DSC_3877

हिंदी के सुप्रसिद्ध कवि शशिकांत यादव ने आपने चिरपरिचित अंदाज़ में ओज तथा देशभक्ति के गीत एवं छंद पढ़े । सैनिकों तथा राजनीतिज्ञों की तुलना करते हुए उन्होंने कविता का सस्वर पाठ किया ।

DSC_3884

मुशायरे की अध्यक्षता कर रहे इक़बाल मसूद ने इस अवसर पर बोलते हुए कहा कि ये नयी पीढ़ी हिन्दी और उर्दू के बीच पुल बनाने का काम कर रही है । उन्होंने सभी शायरों की ग़ज़लों को सराहा । श्री मसूद ने अपनी कई सुप्रसिद्ध ग़ज़लें पढ़ीं । ‘इस उम्र में जो फिसले मुश्किल से संभलता है’ शेर को श्रोताओं ने जमकर सराहा । देर रात तक चले इस कार्यक्रम में बड़ी संख्या में शहर के हिंदी उर्दू के साहित्यकार, पत्रकार, एवं श्रोतागण उपस्थित थे ।

DSC_3887

अंत में आभार पत्रकार श्री शैलेष तिवारी ने व्यक्त किया ।

कार्यक्रम के समाचार आप यहां

http://www.pradeshtoday.com/epaper.php?ed=5&date=2012-12-04#

और यहां

http://naiduniaepaper.jagran.com/Details.aspx?id=431352&boxid=108313986

और यहां

http://www.patrika.com/news.aspx?id=947395

देख सकते हैं ।

D108313986

pradesh todya

श्री नीरज गोस्‍वामी जी को सुकवि रमेश हठीला शिवना सम्‍मान प्रदान किये जाने के समारोह तथा मुशायरे के वीडियो ।

$
0
0

नीरज जी के सम्‍मान समारोह के बाद कुछ व्‍यस्‍तता और बढ़ गई । जैसा कि आपको पता है कि मेरा शहर सीहोर अपने कवि सम्‍मेलनों तथा मुशायरों के लिये प्रसिद्ध है । तो हाल ये कि 17 नवंबर को एक अखिल भारतीय कवि सम्‍मेलन हुआ, 1 दिसंबर को अखिल भारतीय मुशायरा फिर 2 दिसंबर को शिवना प्रकाशन का मुशायरा । और कल रात को फिर एक अखिल भारतीय मुशायरा उत्‍तराखंड के राज्‍यपाल महामहिम अज़ीज़ क़ुरैशी जी के सम्‍मान में आयोजित किया गया । उसमें से कल देर रात लौटा । और अब 24 को एक अखिल भारतीय कवि सम्‍मेलन है जिसमें सत्‍यनारायण सत्‍तन जी, अंजुम रहबर, विनीत चौहान, राजेंद्र राजन, आदि आदि आ रहे हैं । नवंबर से फरवरी तक सीहोर का माहौल खूब काव्‍यमय हो जाता है । फिर फरवरी के बाद धीरे धीरे गर्मियों के कारण आयोजन कम हो जाते हैं । परसों जब याद आया कि इस भागदौड़ में श्री नीरज जी के सम्‍मान के वीडियो अभी तक अपलोड नहीं हो पाये हैं तो कल मुशायरे की तैयारी के साथ साथ वो काम भी शुरू किया । और शाम तक सारे वीडियो अपलोड हो गये ।

सबसे पहले तो ये कि उस कार्यक्रम के पूरे फोटो अब वेब अल्‍बम पर उपलब्‍ध हैं । जिनको आप यहां https://picasaweb.google.com/117630823772225652986/NEERAJGOSWAMIJISAMMANANDMUSHAIRA 

पर जाकर देख सकते हैं तथा डाउनलोड भी कर सकते हैं । यहां पर पूरे फोटो उपलब्‍ध हैं । ब्‍लाग पर कुछ कम लगाये गये थे । तो पहले आप फोटो का आनंद लीजिये और उसके बाद वीडियो का ।

इस बार के मुशायरे में डार्क हार्स की तरह सुलभ जायसवाल ने अपनी ग़ज़ल पढ़ी । डार्क हार्स इसलिये कि उसके पढ़ने के अंदाज़ ने मुझे भी चौंका दिया । अंकित ने तो पढ़ने की रिदम बहुत पहले पकड़ ली है । बस ये कि श्रोताओं को शेर समझाने की आदत छोड़नी होगी । अंकित ने जोरदार पढ़ा । प्रकाश अर्श के पास भी कहने का अंदाज़ अब अच्‍छा हो गया है । अर्श ने पिछले कुछ सालों में जो प्रोग्रेस की है वो उसके प्रस्‍तुतिकरण में दिखती है ।

प्रदीप कांत को मैंने पहली बार सुना । गौतम को धन्‍यवाद एक अच्‍छे शायर को सुनवाने के लिये । और इसी प्रकार का धन्‍यवाद वीनस को डॉ बाली जैसे अच्‍छे शायर को सुनवाने के लिये । दोनों को सुन कर बहुत अच्‍छा लगा । फिर श्री नीरज गोस्‍वामी जी का सम्‍मान किया गया साथ ही सीहोर की साहित्यिक संस्‍थाओं को भी सम्‍मानित किया गया ।

ये वीडियो मंच के लूटे जाने का साक्षात प्रमाण है । सनद रहे और वकत पर काम आये  कि इन दो शायरों ने पूरा मुशायरा लूट लिया था । गौतम ने सीहोर में अपने इतने फैन बना लिये हैं कि अब तो इस कमबख्‍़त से रश्‍क होने लगा है । क्‍या खूब पढ़ा । हर कोई एक ही सवाल कर रहा है कर्नल अगली बार कब आएंगे । और यही किया नीरज जी ने । उनकी मुम्‍बइया ग़ज़लों ने मार ही डाला । श्रोता दीवाने हो गये । लोगों की फरमाइश है कि सीहोर में श्री नीरज गोस्‍वामी और गौतम राजरिशी का एकल काव्‍य पाठ हो । इनको लोग मन भर के सुनना चाहते हैं ।

श्री तिलक राज जी को भी मैंने पहली बार सुना । उनकी ग़ज़लें जैसी होती हैं वैसा ही उनका प्रस्‍तुतिकरण भी है । एक बार बीच में मां पर शेर कहते समय वे कुछ भावुक हो गये । तिलक जी ने पूरे रंग में काव्‍य पाठ किया । आदरणीया भाभीजी की उपस्थिति में ये रंग तो जमना ही था ।

भोपाल के श्री मुजफ्फर जी ने अपने ही विशेष अंदाज़ में ग़ज़लें पढ़ीं । उनके बाद मुशायरे का संचालन कर रहे डॉ आजम जो ने काव्‍य पाठ किया । आजम जी अपने शेरों से अचानक चौंका देते हैं । उसके बाद हिंदी कवि सम्‍मेलन मंचों के कवि शशिकांत यादव ने अपनी प्रस्‍तुतियां दीं । शशिकांत यादव का अपना एक अंदाज़ है ।

मुशायरे की सदारत कर रहे जनाब इक़बाल मसूद साहब का सम्‍मान किया गया तथा उसके बाद उन्‍होंने अपनी ग़ज़लों का पाठ किया । कच्‍ची है गली उनकी बारिश में न जा ऐ दिल, इस उम्र में जो फिसले मुश्किल से संभलता है जैसों शेरों को तहत के अपने ही अंदाज़ में जब उन्‍होंने पढ़ा तो श्रोता झूम उठे । सदर के काव्‍य पाठ के साथ ही मुशायरे का समापन हुआ ।

नये साल का मिसरा ए तरह तैयार हो रहा है । इस बार कुछ कठिन काम करने की योजना है । देखें कहां तक सफल होते हैं । 

सुकवि रमेश हठीला स्‍मृति शिवना सम्‍मान की घोषणा

$
0
0

शिवरात्रि पर सुकव‍ि रमेश हठीला स्‍मृति शिवना सम्‍मान की घोषणा करने परंपरा पिछले वर्ष से कायम की है । सो आज उस पंरपरा का निर्वाहन करते हुए घोषित करते हैं इस वर्ष के सम्‍मानित कवि का नाम । इस वर्ष के लिये चयन समिति ने सर्व सम्‍मति से श्री तिलक राज कपूर जी का नाम सम्‍मान के लिये चयनित किया है । तो घोषित किया जाता है कि इस वर्ष का सुकवि रमेश हठीला शिवना सम्‍मान श्री तिलक राज कपूर जी को प्रदान किया जाएगा ।

shivna logo copy16-20shivna logo copy

''सुकव‍ि रमेश हठीला स्‍मृति शिवना सम्‍मान''

DSC_3865DSC_3897DSC_3866

श्री तिलक राज कपूर जी

नुसरत मेहदी नये मौसम, नये लम्हों की शायरा -डॉ. बशीर बद्र ( शिवना प्रकाशन की नई पुस्‍तक 'मैं भी तो हूं' ग़ज़ल संग्रह नुसरत मेहदी )

$
0
0

MAIN BHI TO HOON1

नुसरत मेहदी नये  मौसम, नये लम्हों की शायरा -डॉ. बशीर बद्र
( शिवना प्रकाशन की नई पुस्‍तक 'मैं भी तो हूं' ग़ज़ल संग्रह नुसरत मेहदी )
शायरी ख़ुदा की देन है । इसका भार हर कोई नहीं सह सकता । यह न शीशा तोड़ने का फ़न है, न फायलातुन रटने का । यह काम बहुत नाज़ुक  है । इसमें जिगर का ख़ून निचोड़ना पड़ता है, तब कहीं कोई शेर बनता है। ग़ज़ल के शेर रोज़ रोज़ नहीं होते-चमकती है कहीं सदियों में आँसुओं से ज़मीं, ग़ज़ल के शेर कहाँ रोज़ रोज़ होते हैं।
हर नामचीन और अमर शाइर (या शाइरात), हज़ारों साल के ग़ज़ल के सफ़र से बिना मेहसूस किए ही सीख हाासिल कर के एक नए व्यक्तित्व का सृजन करता है और यह सीख या शिक्षा उसके चेतन और अवचेतन का हिस्सा बन जाती है । साहित्य के आकाश पर कई सितारे डूबते हैं सैकड़ों उभरते हैं उनमें एक चमकदार और रौशन तारा नुसरत मेहदी हैं । बात करने से पहले उनके चंद शेर देखिए .....
महकने की इजाज़त चाहती है
हसीं चाहत भरे जज़्बों की ख़ुश्बू
फूलों की हवेली पर ख़ुश्बू से ये लिखा है
इक चाँद भी आयेगा दरवाज़ा खुला रखना
खामोशी बेज़बाँ नहीं होती
उम्र भर वह समझ  सका था क्या
किसी एहसास में डूबी हुई शब
सुलगता भीगता आँगन हुई है
मिरे शेरों मिरे नग़्मों की ख़ुश्बू
तुम्हारे नाम इन फूलों की ख़ुश्बू
कोई साया तो मिले उसमें सिमट कर सो लूँ
इतना जागी हूँ कि आँखों  में चुभन होती है
जाने कब छोड़ कर चली जाए
ज़िदंगी का न यूँ भरोसा कर
नुसरत मेहदी  के अश्आर को मैंने दो तीन बैठकों में पढ़ा । हर्फ़-हर्फ़ पढ़ा । मुझे हिंदुस्तान की तमाम ज़िक्र के योग्य शाइरात को पढ़ने और सुनने का अवसर मिला, उनका साहित्यिक मर्तबा इस बात से कम नहीं होता कि आज के सब से मनभावन, भावपूर्ण और सुंदर लहजे के अनगिनत शेर, मुद्दतों बाद नुसरत मेहदी  के कलाम में पाये। यह शेर सीधे दिल और दिमाग़ को प्रभावित करते है और पढ़ने सुनने वाला  एक अलग और नायाब लहजे और शेर के सौंदर्य के नये ग़ज़लिया स्वाद से परिचित होता है....
वहीं पर ज़िंदगी सैराब होगी
जहाँ सूखे हुए तालाब होंगे
तेज़ाबी बारिश के नक़्श नहीं मिटते
मैं अश्कों से आँगन धोती रहती हूँ
जब से गहराई  के ख़तरे भाँप लिए
बस साहिल पर पाँव भिगोती रहती हूँ
एक मुद्दत से इक सितारा-ए-शब
सुब्ह की राह तकता रहता है
तारीकियों में सारे मनाज़िर चले गए
जुग्नू सियाह रात में सच बोलता रहा
शेरों की सादगी और रचावट सादा लहजे में अहम और बड़ी बात कहने का ढंग स्त्रियोचित परिवेश के बावजूद ज़िंदगी की फुर्ती चुस्ती और कर्म की राह की मुसीबतों  से न घबराना । तेज़ाबी बारिशों, सूखे हुए तालाबों  से ज़िंदगी की प्यास बुझाना, गहराई  के खतरे को भाँपने  के बावजूद किनारे पर क़दमों के निशाँ, काली रात में जुगनुओं का सच, अंधेरी और अंतहीन रातों में  उम्मीद का चमचचमाता तारा, नुसरत मेहदी की ज़िंदगी  से मोहब्बत, सच्चाई की तरफ़दारी और नाइंसाफ़ी  से लड़ने का इशारा है। यह सीधा सपाट लेखन नहीं है कि इससे शेर का भाव आहत हो यह तो ग़मों, फ़िक्र और दुःख को बरदाश्त करने का और  विषय को बारबार दोहराने का नतीजा है जो इतना प्रभावशाली शेर काग़ज़ पर जगमगा सकें ।
नुसरत मेहदी के शेरी रवैया और शेरों को दाद देने के लिए रवायती प्रशंसा और सार्थकता का ढंग अपनाना ज़्यादती होगी। वह हमारे दौर की शाइरात में विशिष्ट ढंग की शाइरा हैं। पुरानी किसी महान शाइरा से उनकी तुलना या प्रतिस्पर्धा करना उचित नहीं। समय सब को अपने स्वर एवं चिंतन का राज़दार बनाता है। उनकी शाइरी आज के दौर में ज़िंदगी की सच्चाइयों का उद्गार है। साहित्य में न पुराना निम्न स्तरीय है न नया उच्च स्तरीय। पुराना हुस्न, भूत काल की यादगार है। आज का हुस्न वर्तमान की ज़िंदगी का करिश्मा और भविष्य  के प्रभावशाली दृष्टिकोण का इंद्रधनुषीय सपना है ।  उसके समझने के लिए वर्तमान के साहित्यिक पटल और दृश्य व परिदृश्य पर दृष्टि करनी होगी ओर इसके साथ ही क्लासिकी शाइराना रवैये पर ध्यान देना तथा अध्ययन, गहरा अध्ययन, शेरी ढाँचों को ऊष्मा, हरारत और जीवन से भरपूर कर सकता है। नुसरत बहुत चुपके से इस क्रिया से गुज़री हैं और ऐसे ताज़ा दम शेर लिखने लगी हैं जो नग़्मगी से भरपूर हैं मगर प्राचीन इशारों, उपमाओं, भंगिमाओं, तौर तरीकों से दामन झटकने के बावजूद शहरी अर्थपूर्णता के क़ाबिल हैं। यह उनकी कामयाबी है। कुछ और शेर देखें .....
इस शह्र के पेड़ों में साया नहीं मिलता
बस धूप रही मेरे हालात से वाबस्ता
अपनी बेचहरगी को देखा कर
रोज़ एक आइना न तोड़ा कर
आबे हयात पीके कई लोग मर गये
हम ज़ह्र पी के ज़िंदा हैं सुक़रात की तरह
सिर्फ अजदाद की तहज़ीब के धागे होंगे
ओढ़नी पर कोई गोटा न किनारी होगी
रेत पर जगमगा उठे तारे
आस्माँ टूट कर गिरा था क्या
सलीबो दार से उतरी तो जिस्मों जाँ से मिली
मैं एक लम्हे में सदियों की दास्ताँ से मिली 
आम बोल चाल की भाषा में शाहरा ने नई इमेजरी पेश की है। शहर के पेड़ों में साया न मिलना, धूप और माहौल की सख़्ती का सुंदर चित्रण, आभाहीन चेहरा होने पर आईना तोड़ना और आसमान टूट कर गिरने में ग़म की शिद्दत और आँसुओं  का सितारों की  तरह चमकना। क्रास और सूली से उतरने पर सदियों निर्दयता, सितम, अन्याय और हमारे समाज की चक्की में पिसती आम जनता आदि ऐसी शेरी उपमाएँ हैं, चित्रण है जिसमें स्त्रियोचित अभिव्यक्ति  में एक अजीब प्रकार की मोहब्बत और ममता  के भावों को भर दिया है जो नाराज़ तो है मगर तबाही का तलबगार नहीं। जो अप्रियता दर्शाती तो हो मगर अच्छाई के लिए प्रयत्नशील है क्योंकि उसके आँगन  में नये मौसम और नए क्षणों की सुगंध उड़ कर आ रही है ।
नुसरत मेहदी को सुन्दर और यादगार शेर कहने के लिए मुबारकबाद तो कहना ही है लेकिन अल्लाह पाक की इस देन को भी दिल से मानता हूँ उसकी यह कृपा  है, और उससे दुआ करता हूँ कि अच्छे दिल की, बेहतरीन सोच और कर्म की, ख़ूबसूरत विचारों की शाइरी को वैश्विक पैमाने पर प्रसिद्धि प्रदान करे । आमीन

                        -डॉ. बशीर बद्र


‘वैश्विक रचनाकारः कुछ मूलभूत जिज्ञासाएँ’ में मौजूद साक्षात्कार इस विधा की गरिमा को समृद्ध करते हैं -सुशील सिद्धार्थ

$
0
0

Copy of VAISHWIK RACHNAKAR SHIVNA PRAKASHAN

कुछ पत्रकारों और लेखकों ने साक्षात्कार लेने की कला को एक रचनात्मक हुनर बना लिया है। उन्हें पता है कि किस लेखक से बात करने का सलीका क्या है। संवाद एक सलीका ही तो है। साक्षात्कार का सौन्दर्य है संवादधर्मी होना। ...ऐसी अनेक विशेषताएँ सुधा ओम ढींगरा द्वारा लिये गये साक्षात्कारों में सहज रूप से उपलब्ध हैं। ‘वैश्विक रचनाकारः कुछ मूलभूत जिज्ञासाएँ’ में मौजूद साक्षात्कार इस विधा की गरिमा को समृद्ध करते हैं। समर्पित रचनाकार सुधा ओम ढींगरा बातचीत करने में दक्ष हैं। वैसे भी जब वे फोन करती हैं तो अपनी मधुर आवाज़ से वातावरण सरस बना देती हैं। जीवन्तता साक्षात्कार लेने वाले का सबसे बड़ा गुण है। बातचीत को किसी फाइल की तरह निपटा देने से मामला बनता नहीं। सुधा जी को इस विधा में दिलचस्पी है। उन्होंने अनुभव और अध्ययन से इसे विकसित किया है। वे ऐसी लेखक हैं, जिन्हें टेक्नोलॉजी का महत्त्व पता है। बातचीत करने के लिये आमने सामने होने के अतिरिक्त उन्होंने फोन, ऑनलाइन और स्काइप का उपयोग किया है। बल्कि आमना-सामना अत्यल्प है। इससे कई बार औपचारिक या किताबी होने का संकट रहता है जो स्वाभाविक है। ....लेकिन यह देखकर प्रसन्नता होती है कि सारे साक्षात्कार जीवन्त और दिलचस्प हैं।
अमेरिका, कैनेडा, इंग्लैण्ड, आबूधाबी, शारजाह, डेनमार्क और नार्वे के साहित्यकारों से सुधा जी के प्रश्न सतर्क हैं। साहित्यकारों ने भी सटीक उत्तर दिये हैं। यह पुस्तक पाठकों की ज्ञानवृद्धि के साथ उनकी संवेदना का दायरा भी व्यापक करेगी। वैश्विक रचनाशीलता की मानसिकता को यहाँ लक्षित किया जा सकता है। ऐसी पुस्तकें हिन्दी में बहुत कम हैं। शायद न के बराबर। विश्व के अनेक देशों में सक्रिय हिन्दी रचनाकारों के विचार पाठकों तक पहुँचाने के लिए हमें सुधा ओम ढींगरा को धन्यवाद भी देना चाहिए। हिन्दी में कुछ विशेषज्ञ रहे हैं जो साक्षात्कार को रचना बना देते हैं। सुधा जी को देखकर.... उनके काम को पढ़कर और इस विधा के विषय में उनके विचार जानकर उनकी विशेषज्ञता की सराहना की जानी चाहिए।

-सुशील सिद्धार्थ

सम्पादक
राजकमल प्रकाशन
1 बी, नेताजी सुभाष मार्ग
दरियागंज-2
मोबाइल 09868076182

डाली मोगरे की, ग़ज़ल संग्रह, नीरज गोस्‍वामी

$
0
0

DAALI MOGRE SHIVNA PRAKASHAN1

डाली मोगरे की

ग़ज़ल संग्रह

नीरज गोस्‍वामी 

काव्यांजलि संध्‍या तथा पुस्‍तक लोकार्पण समारोह

$
0
0

JANARDAN SAMMAN SAMMAN NEWS1देश में साहित्यिक पुस्तकों की अग्रणी प्रकाशन संस्था शिवना प्रकाशन Shivna Prakashanद्वारा साठोत्तरी हिंदी कविता के यशस्वी कवि पंडित जनार्दन शर्मा की पुण्यतिथि पर हर वर्ष होने वाली पुण्य स्मरण संध्या में वरिष्ठ पत्रकार स्व. अम्बादत्त भारतीय, वरिष्ठ साहित्यकार स्व. नारायण कासट, कवि स्व. कृष्ण हरि पचौरी, सुकवि स्व. रमेश हठीला, गीतकार स्व. मोहन राय तथा वरिष्ठ शायर स्व. कैलाश गुरूस्वामी को काव्यांजलि प्रदान की जाएगी। इस काव्यांजलि समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में वनमाली सृजन पीठ के अध्यक्ष तथा आइसैक्ट यूनिवर्सिटी Aisect universityAisect Universityके चांसलर, कहानीकार श्री संतोष चौबे उपस्थित रहेंगे। कार्यक्रम की अध्‍यक्षता वरिष्‍ठ कवि एवं शायर श्री नीरज गोस्‍वामी करेंगे जबकि विशिष्‍ट अतिथि के स्‍प में वरिष्‍ठ कहानीकार डाॅ रेखा कस्‍तवार Rekha Kastwarतथा वरिष्‍ठ कवि श्री सौरभ पाण्‍डेय Saurabh Pandeyउपस्थित रहेंगे । शिवना प्रकाशन द्वारा इस कार्यक्रम में तीन सम्मान प्रदान किये जाएंगे, पैंतीसवे पंडित जनार्दन सम्मान देश के लब्ध प्रतिष्ठित कवि तथा पत्रकार श्री महेंद्र गगन Mahendra Gaganको सम्‍मानित किया जायेगा। श्री गगन भोपाल से प्रकाशित पहले पहल समाचार पत्र के प्रधान सम्पादक भी हैं। वहीं इस वर्ष से प्रदेश भर में सीहोर पत्रकारिता की पहचान रहे स्व. बाबा अम्बादत्त भारतीय की स्मृति में भी एक सम्मान शिवना प्रकाशन द्वारा स्थापित किया जा रहा है। प्रथम बाबा भारतीय सम्मान से प्रदेश के वरिष्ठ पत्रकार श्री सुदीप शुक्ला Sudeep Shuklaको सम्‍मानित किया जाएगा। श्री शुक्ला वर्तमान में दैनिक भास्कर भोपाल में रीजनल हैड के रूप में कार्यरत हैं। गीतकार स्व. रमेश हठीला की स्मृति में दिये जाने वाले सम्मान से वरिष्ठ कवि तथा शायर श्री तिलकराज कपूर Tilak Raj Kapoorको सम्‍मानित किया जायेगा। श्री तिलकराज कपूर वर्तमान में जल संसाधन विभाग भोपाल में एडीशनल सेकेट्री के रूप में पदस्थ हैं।
कार्यक्रम में शिवना प्रकाशन द्वारा प्रकाशित डॉ सुधा ओम ढींगरा Sudha Om Dhingraके साक्षात्‍कार संग्रह 'वैश्विक रचनाकार कुछ मूलभूत जिज्ञासाएं'तथा श्री नीरज गोस्‍वामी Neeraj Goswamyके ग़ज़ल संग्रह 'डाली मोगरे की'का लोकार्पण किया जाएगा ।

VAISHWIK RACHNAKAR SHIVNA PRAKASHAN1DAALI MOGRE SHIVNA PRAKASHAN1
कार्यक्रम 19 जनवरी रविवार की शाम ब्‍ल्‍यू बर्ड स्‍कूल सीहोर के सभागर में आयोजित किया जाएगा

शिवना प्रकाशन के आयोजन में सुदीप शुक्ला, महेंद्र गगन और तिलकराज कपूर सम्मानित हुए, ‘डाली मोगरे की’ (ग़ज़ल संग्रह : नीरज गोस्वामी), ‘मैं भी तो हूँ’ (ग़ज़ल संग्रह: नुसरत मेहदी), ‘वैश्विक रचनाकार कुछ मूलभूत जिज्ञासाएँ’ (साक्षात्‍कार संग्रह : सुधा ओम ढींगरा) का विमोचन

$
0
0

छोटे शहरों में उदासी नहीं उत्साह दिखाई देता है- संतोष चौबे

सीहोर । शिवना प्रकाशन द्वारा सुकवि जनार्दन शर्मा, पत्रकार द्वय स्व. ऋषभ गाँधी तथा स्व. अम्बादत्त भारतीय, साहित्यकार स्व. नारायण कासट, कवि स्व. कृष्ण हरि पचौरी, कवि स्व. रमेश हठीला, गीतकार स्व. मोहन राय तथा शायर स्व. कैलाश गुरूस्वामी की स्मृति में आयोजित पुण्य स्मरण संध्या में पैंतीसवा जनार्दन शर्मा सम्मान प्रतिष्ठित कवि श्री महेंद्र गगन को,  बाबा भारतीय सम्मान वरिष्ठ पत्रकार श्री सुदीप शुक्ला को  तथा रमेश हठीला सम्मान शायर श्री तिलकराज कपूर को प्रदान किया गया।

DSC_7524DSC_7530

DSC_7534SHIVNA PRAKASHAN NEWS1
स्थानीय ब्ल्यू बर्ड स्कूल के सभागार में आयोजित कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में वनमाली सृजन पीठ के अध्‍यक्ष कहानीकार श्री संतोष चौबे तथा विशिष्ट अतिथि के रूप में कहानीकार रेखा कस्तवार, साहित्‍य अकादमी मप्र से पधारीं नुसरत मेहदी और इलाहाबाद के कवि सौरभ पाण्डेय उपस्थित थे, अध्यक्षता जयपुर के सुप्रसिद्ध शायर श्री नीरज गोस्वामी ने की। कार्यक्रम के आरंभ में अतिथियों ने दीप प्रज्जवलित कर साहित्यकारों के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित की । आयोजन समिति संयोजक बसंत दासवानी, प्रकाश व्यास काका, प्रमोद जोशी गुंजन, ओमदीप, रामनारायण ताम्रकार,  रमेश गोहिया, हरीश अग्रवाल, डा. साधुराम शर्मा,राममूति शर्मा तथा योगेश राठी, धर्मेन्द्र पाटीदार ने किया। ‘बाबा भारतीय सम्मान’ से सम्मानित पत्रकार श्री सुदीप शुक्ला का परिचय पंकज सुबीर ने,  ‘जनार्दन शर्मा सम्मान’ से सम्मानित कवि श्री महेंद्र गगन का परिचय सुप्रसिद्ध कहानीकार श्रीमती रेखा कस्तवार ने तथा ‘रमेश हठीला सम्मान’ से सम्मानित कवि श्री तिलकराज कपूर का परिचय शायर श्री सौरभ पाण्डेय ने दिया। तत्पश्चात तीनों सम्मानित रचनाकारों का सम्मान अतिथियों द्वारा किया गया ।

SHIVNA PRAKASHAN NEWS2SHIVNA PRAKASHAN NEWS3

SHIVNA PRAKASHAN NEWS6

इस अवसर पर शिवना प्रकाशन की पुस्तकों ‘डाली मोगरे की’ (ग़ज़ल संग्रह : नीरज गोस्वामी),  ‘मैं भी तो हूँ’ (ग़ज़ल संग्रह: नुसरत मेहदी),  ‘वैश्विक रचनाकार कुछ मूलभूत जिज्ञासाएँ’ (साक्षात्‍कार संग्रह : सुधा ओम ढींगरा) का विमोचन अतिथियों द्वारा किया गया ।

SHIVNA PRAKASHAN NEWS4SHIVNA PRAKASHAN NEWS5

अतिथियों ने कैनेडा से प्रकाशित साहित्यिक पत्रिका ‘हिन्दी चेतना’ के नव वर्ष अंक और दिल्ली से प्रकाशित साहित्यिक पत्रिका ‘दूसरी परम्परा’ का भी लोकार्पण इस अवसर पर किया । मुख्य अतिथि श्री संतोष चौबे ने अपने उदबोधन में  कहा कि इस प्रकार के आयोजन के दूसरे उदाहरण बहुत मुश्किल से मिलेंगे जहां पर शहर इस प्रकार से अपने साहित्यकारों को याद कर रहा है । उन्होंने इस बात को लेकर सराहना की कि पैंतीस सालों से एक आयोजन को अनवरत किया जा रहा है । उन्होंने कहा कि छोटे शहरों में साहित्य का माहौल देखने का मिल रहा है मैं शुरु से कहता रहा हूं कि देश के बड़े साहित्यकारों को छोटे शहरों से संवाद बनाए रखना जरुरी है क्योंकि जो प्रतिभा छोटे शहरों में मिलती है उसमें उदासी नहीं उत्साह दिखाई देता है।

NK42NK43

NK47NK41

कार्यक्रम के अगले चरण में सम्‍मानित कवियों श्री महेंद्र गगन, श्री तिलकराज कपूर के साथ अतिथि कवियों श्री नीरज गोस्‍वामी, श्री सौरभ पाण्‍डेय तथा नुसरत मेहदी ने अपनी प्रतिनिधि रचनाओं का पाठ किया। कार्यक्रम का संचालन कहानीकार पंकज सुबीर ने किया । अंत में आभार व्यक्त करते हुए पत्रकार शैलेश तिवारी ने सभी के प्रति धन्यवाद ज्ञापित किया। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में के बुद्धिजीवी, कवि, पत्रकार, साहित्यकार तथा श्रोता उपस्थित थे ।
समाचार संकलन : चंद्रकांत दासवानी

हमको भी बहुत कुछ सीखने को मिलेगा ब्रजेश राजपूत की इस पुस्तक से : शिवराज सिंह चौहान शिवना प्रकाशन के आयोजन में पत्रकार ब्रजेश राजपूत की पुस्तक का विमोचन मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने किया

$
0
0

DSC_0032DSC_0037

चुनाव हो जाने के बाद चुनावों के बारे में पढ़ना रोचक भी होता है और ज्ञान वर्द्धक भी । दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र हमारा देश है जहां इतने आराम से सत्ता परिवर्तन हो जाते हैं जिस पर दुनिया चकित रह जाती है। मैंने पुस्तक को देखा है और उसमें कई कई ऐसी बातें भी हैं जिन्हें हम भी चुनाव के बाद भूल जाते हैं ।

DSC_0055DSC_0044

चुनाव के दौरान जनता, नेता और कार्यकर्ता क्या क्या करते हैं इस पर ब्रजेश राजपूत ने बहुत सुंदर तरीके से लिखा है। यह एक जरूरी पुस्तक है हमको भी बहुत कुछ सीखने मिलेगा इस पुस्तक से और अपने आप को देखने का भी अवसर मिलेगा । ब्रजेश जी को पुस्तक लिखने हेतु साधुवाद तथा शिवना प्रकाशन को बहुत धन्यवाद जिन्होंने मध्यप्रदेश को जानने के लिये एक  महत्त्वपूर्ण पुस्तक का प्रकाशन किया।

DSC_0045DSC_0050

उक्त उद्गार मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने शिवना प्रकाशन द्वारा आयोजित वरिष्ठ पत्रकार ब्रजेश राजपूत की पुस्तक चुनाव, राजनीति और रिपोर्टिंग के विमोचन समारोह के अवसर पर व्यक्त किये।

DSC_0006DSC_0007

इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि के रूप वरिष्ठ पत्रकार श्री गिरजाशंकर एवं मीडिया समीक्षक श्री मुकेश कुमार उपस्थित थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता गलगोतिया विश्वविद्यालय के डीन प्रो. प्रदीप कृष्णात्रै ने की ।

DSC_0019DSC_0018
कार्यक्रम के प्रारंभ में अतिथियों का स्वागत प्रकाशन की ओर से पंकज सुबीर, श्रवण मावई, सनी गोस्वामी तथा शहरयार खान ने किया।

DSC_0025DSC_0020

ब्रजेश राजपूत की पुस्तक पर बोलते हुए श्री मुकेश कुमार ने कहा कि ब्रजेश राजपूत ने पुस्तक को जिस प्रकार सारी जानकारियों को समेटते हुए लिखा है वह पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिये बहुत उपयोगी साबित होगी।  श्री गिरजाशंकर ने अपने संबोधन में कहा कि कोई चुनाव लड़ता है कोई लड़वाता है कोई वोट डालता है और कोई इन सबको देखता है लेकिन चुनाव को पढ़ना भी एक अनुभव है और इस किताब में हम चुनाव को पढ़ेंगे। ब्रजेश राजपूत की ये पुस्तक एक महत्त्वपूर्ण पुस्तक है।

DSC_0041DSC_0033

तत्पश्चात अतिथियों ने मध्यप्रदेश के विधानसभा चुनाव 2013 पर लिखी गई ब्रजेश राजपूत की पुस्तक का विमोचन किया।

DSC_0517DSC_0518

प्रकाशन पंकज सुबीर ने लेखक ब्रजेश राजपूत को प्रकाशन की ओर से सम्मानित किया।

DSC_0508DSC_0507

कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे प्रो प्रदीप कृष्णात्रै ने अपने अध्यक्षीय भाषण में कहा कि 2013 के चुनाव पर 2014 में ही पुस्तक आ जाना और इतनी अच्छी पुस्तक का आ जाना एक महत्त्वपूर्ण घटना है। ब्रजेश राजपूत ने बहुत मेहनत से और पूरी रोचकता के साथ पुस्तक को लिखा है।

DSC_0065DSC_0062

ब्रजेश राजपूत ने इस अवसर पर बोलते हुए कहा कि टीवी का पत्रकार बहुत अस्त व्यस्त जीवन जीता है, उसके लिये कोई पुस्तक लिख लेना और समय से लिख लेना बहुत मुश्किल होता है। पत्रकार को पता ही नहीं होता कि उसे अगले ही दिन कहाँ जाना है।

DSC_0015DSC_0039

मेरे लिये पुस्तक को लिखते समय यही बड़ी चुनौती थी। 2013 के चुनाव बड़े रोचक चुनाव थे, जिस प्रकार प्रचार हुआ पहली बार सोशल मीडिया का व्यापक प्रयोग हुआ उस सबके चलते ही ये पुस्तक लिखने के बारे में मैंने सोचा। आज जब ये पुस्तक आ गई है तो मेरे लिये ये विशेष दिन है, इसलिये भी कि मुख्यमंत्री ने इसके विमोचन के लिये समय दिया।

DSC_0511DSC_0510

कार्यकम के अंतिम चरण में मुख्यमंत्री सहित सभी अतिथियों को स्मृति चिह्न के रूप में शिवना प्रकाशन की पुस्तकों का सेट सीहोर के पत्रकार श्रवण मावई ने भेंट किया गया। मुख्यमंत्री ने स्मृति चिह्न के रूप में पुस्तकें देने की विशेष रूप से सराहना की।

DSC_0068DSC_0067

कार्यक्रम का संचालन पंकज सुबीर ने किया।

DSC_0023DSC_0022

इस अवसर पर बड़ी संख्या में पत्रकार, साहित्यकार उपस्थित थे। 

कार्यक्रम का वीडियो


ब्रजेश राजपूत का पुस्‍तक को लेकर साक्षात्‍कार

कार्यक्रम के फोटो

https://plus.google.com/photos/117630823772225652986/albums/6000889900803828417

समाचारों के लिंक

http://shar.es/BLNjK 

http://bhadas4media.com/print/18931-2014-04-09-10-42-39.html

http://www.insighttvnews.com/newsdetails.php?show=39799

http://www.sbs.com.au/yourlanguage/hindi/highlight/page/id/328764/t/In-India-Chunav-Rajneeti-and-Reporting

http://hindimedia.in/3/news/Brijesh-Rajput-we-will-learn-much-from-this-book-Shivraj-Singh-Chouhan

http://www.rajkaaj.com/news.php?id=5638&catid=1

http://www.rainbownews.in/region.php?nid=5913

http://www.youtube.com/watch?v=RJdUnfZu_Jo

http://mediamorcha.com/entries/विविध-खबरें/चुनाव-होने-के-बाद-इस-बारे-में-पढ़ना-रोचक-होता-है-शिवराज-सिंह-चौहान

http://khabarnation.com/चुनाव-राजनीति-और-रिपोर्ट/

http://ajmernama.com/national/110429/

डॉ. सुधा ओम ढींगरा के कविता संग्रह सरकती परछाइयां का विमोचन

$
0
0

DSC_0062

कथाकार कवयित्री सुधा ओम ढींगरा के शिवना प्रकाशन द्वारा प्रकाशित कविता संग्रह सरकती परछाइयां का विमोचन हिन्‍दी चेतना अन्तर्राष्ट्रीय सम्‍मेलन में स्कारबरो सिविक सेण्टर, ओण्टेरियो कैनेडा में हुआ। वरिष्‍ठ कथाकार श्री महेश कटारे, प्रवासी क‍थाकारा डॉ.सुदर्शन प्रियदर्शिनी, श्री जो ली (काउन्सलर- मार्ख़म), भारत के काउन्‍सलेट जनरल श्री अखिलेश मिश्रा, हिन्दी चेतना के मुख्य सम्पादक श्री श्याम त्रिपाठी ने सकरती परछाइयां का विमोचन किया। पुस्‍तक तथा लेखिका का परिचय कहानीकार पंकज सुबीर ने प्रस्‍तुत किया। इस अवसर पर बोलते हुए डॉ सुधा ओम ढींगरा ने कहा कि इस संग्रह की कविताएं कुछ अलग तरह की कविताएं हैं तथा आशा है कि पाठक इन कविताओं को पसंद करेंगे। उन्‍होंने कहा कि कविता लिखना उनके लिए अपने आप से ही पहचान करने का एक जरिया रहा है। कविताएं अपने आप से संवाद स्‍थापित करने का तरीका है। पिछला कविता संग्रह धूप से रूठी चांदनी जिस प्रकार पाठकों ने पसंद किया था उसी से उत्‍साहित होकर इस संग्रह की भूमिका बनी। विमोचन के अवसर पर एक कवि सम्‍मेलन का भी आयोजन किया गया । वरिष्‍ठ साहित्‍यकार रामेश्वर काम्‍बोज हिमांशु की अध्‍यक्षता में आयोजित कवि सम्‍मेलन में सुदर्शन प्रियदर्शिनी, पंकज सुबीर, अभिनव शुक्‍ल, धर्मपाल जैन, राज माहेश्‍वरी,  शैलजा सक्‍सेना, शैल शर्मा, दीप्ति कुमार, सुधा ओम ढींगरा तथा श्‍याम त्रिपाठी ने अपनी रचनाओं का पाठ किया। कवि सम्‍मेलन का संचालन अभिनव शुक्‍ल ने किया । इस अवसर पर बड़ी संख्या में हिन्दी प्रेमी और साहित्यकार उपस्थित थे ।

सरकती परछाइयां ( कविता संग्रह) डॉ. सुधा ओम ढींगरा

पृष्‍ठ 120, मूल्‍य 150 रुपये, वर्ष 2014

पुस्‍तक प्राप्‍त करने के लिए लिखें

शिवना प्रकाशन, पी. सी. लैब, सम्राट कॉम्‍प्‍लैक्‍स बेसमेंट, बस स्‍टैंड के सामने, सीहोर 466001] मध्‍यप्रदेश, दूरभाष +91-7562405545, +91-7562695918  मेल shivna.prakashan@gmail.com

शिवना प्रकाशन द्वारा शाम आयोजित पुण्य स्मरण संध्या

$
0
0

शिवना प्रकाशन द्वारा शाम आयोजित पुण्य स्मरण संध्या में स्व. जनार्दन शर्मा, स्व. नारायण कासट, स्व. अबादत्त भारतीय, स्व. ऋषभ गांधी, स्व. कैलाश गुरू स्वामी, स्व. कृष्ण हरि पचौरी, स्व. मोहन राय तथा स्व. रमेश हठीला को काव्यांजलि अर्पित की गई। इस पुण्य स्मरण संध्या में स्व. बाबा अबादत्त भारतीय स्मृति शिवना सम्‍मान श्रीमती स्वाति तिवारी को, जनार्दन शर्मा स्मृति शिवना सम्‍मान श्री म्‍मोहन सगोरिया को, स्व. रमेश हठीला शिवना सम्‍मान शायरा श्रीमती इस्मत ज़ैदी को तथा स्व. मोहन राय स्मृति शिवना समान श्री रियाज़ मोहाद रियाज़ को प्रदान किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता मध्य प्रदेश साहित्य अकादमी की सचिव श्रीमती नुसरत मेहदी ने की जबकि मुख्‍य अतिथि के रूप में नगरपालिका अध्यक्ष श्री नरेश मेवाड़ा तथा विशिष्ट अतिथि के रूप में इछावर के विधायक श्री शैलेन्द्र पटेल उपस्थित थे।
दीप प्रज्जवलन तथा दिवंगत साहित्यकारों, पत्रकारों को अतिथियों द्वारा श्रद्धांजलि अर्पित करने के साथ कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ। बी बी एस क्लब की ओर से वसंत दासवानी ने पुष्प गुच्छ भेंट कर सभी अतिथियों का स्वागत किया। तत्पश्चात शिवना प्रकाशन द्वारा साहित्यकारों को समानित किया गया। अतिथियों ने स्व. बाबा अबादत्त भारतीय स्मृति शिवना सम्‍मान जानी मानी कथाकारा श्रीमती स्वाति तिवारी को, जनार्दन शर्मा स्मृति शिवना सम्‍मान सुप्रसिद्ध कवि श्री मोहन सगोरिया को, स्व. रमेश हठीला शिवना सम्‍मान वरिष्ठ शायरा श्रीमती इस्मत ज़ैदी को तथा स्व. मोहन राय स्मृति शिवना सम्‍मान सीहोर के ही वरिष्ठ शायर श्री रियाज़ मोहाद रियाज़ को प्रदान किया गया। सभी को शॉल श्रीफल समान पत्र तथा पुष्प गुच्छ भेंट कर ये समान प्रदान किये गये। इस अवसर पर शिवना प्रकाशन की आठ पुस्तकों, मुकेश दुबे के तीन उपन्यासों ‘क़तरा-क़तरा ज़िंदगी’, ‘रंग ज़िंदगी के’ तथा ‘कड़ी धूप का सफ़र’, नुसरत मेहदी के उर्दू ग़ज़ल संग्रह ‘घर आने को है’, अमेरिका की कवयित्री सुधा ओम ढींगरा के काव्य संग्रह ‘सरकती परछाइयाँ’, पूर्व पुलिस महानिरीक्षक श्री आनंद पचौरी के काव्य संग्रह ‘चलो लौट चलें’ तथा मुबई की कवयित्री मधु अरोड़ा के काव्य संग्रह ‘तितलियों को उड़ते देखा है’, हिन्दी चेतना ग्रंथमाला ‘नई सदी का कथा समय’ का विमोचन किया गया। समान समारोह के पश्चात कवि समेलन में समानित तथा आमंत्रित कवियों ने अपनी प्रतिनिधि रचनाओं का पाठ किया। स्वाति तिवारी,  मोहन सगोरिया, इस्मत ज़ैदी, नुसरत मेहदी, तिलकराज कपूर, रियाज़ मोहमद रियाज़, मुकेश दुबे, गौतम राजरिशी, हरिवल्लभ शर्मा तथा वंदना अवस्थी दुबे ने अपनी प्रतिनिधि रचनाओं का पाठ कर दिवंगत साहित्यकारों को काव्यांजलि प्रदान की। कार्यक्रम में बड़ी संया में शहर के सुधि श्रोता, पत्रकार एवं प्रबुद्ध जन उपस्थित थे। अंत में आभार शैलेश तिवारी ने व्यक्त किया।

DSC_5447DSC_5457DSC_5470DSC_5477DSC_5482DSC_5483DSC_5485DSC_5490DSC_5492DSC_5494DSC_5496DSC_5499DSC_5501DSC_5503DSC_5504DSC_5505DSC_5507DSC_5508DSC_5511DSC_5515DSC_5518DSC_5519DSC_5523DSC_5525DSC_5529DSC_5530DSC_5532DSC_5533DSC_5535DSC_5536DSC_5537DSC_5539DSC_5541DSC_5542


'शिवना साहि‍त्यिकी'का जुलाई-सितम्‍बर 2016 अंक अब ऑनलाइन उपलब्‍ध है

$
0
0


अंक को ऑनलाइन पढ़ने हेतु लिंक्‍स: https://issuu.com/pankajsubeer/docs/shivna_sahityiki__july_september_20
http://www.slideshare.net/subeerin/shivna-sahityiki-july-september-2016

इस अंक में शामिल रचनाकार हैं : आवरण चित्र कविता Veeru Sonker, व्‍यंग्‍य चित्र Kajal Kumar, कविताएं Ashok Kumar Pandey, कहानी : 'टच मी नॉट'Geeta Shree, अालोचना - राकेश बिहारी द्वारा Akanksha Pareकी कहानी 'शिफ्ट+कंट्रोल+ऑल्‍ट=डिलीट'पर एकाग्र आलेख, गौतम राजरिशीद्वारा Pankaj Mitraकी कहानी 'इवेंट मैनेजर'पर एकाग्र आलेख, Pallavi Trivediकी डायरी 'कोहरा-कोहरा हुआ मन- एक सर्द दिन की डायरी', Rajshree Mishraकी ख़बर कथा 'मेरा सच', 'फिल्‍मी दुनिया से'स्‍तंभ 'सिनेमा - एक कला और तकनीक'Krishna Kant Pandya, Pragya Rohiniके कहानी संग्रह 'तक्‍सीम'पर वेदप्रकाश सिंह की समीक्षा, विमलेश त्रिपाठीके उपन्‍यास 'कैनवास पर प्रेम'पर GangaprasadSharma Gunshekharकी समीक्षा, Brajesh Rajputकी पुस्‍तक 'चुनाव, राजनीति और रिपोर्टिंग'पर सुशील कुमार शर्मा की समीक्षा। Sudha Om Dhingraके उपन्‍यास 'नक्‍़क़ाशीदार केबिनेट'पर Ajay Navariaकी पुस्‍तक चर्चा। लोकेश कुमार सिंह 'साहिल'की ग़ज़लें । आवरण चित्र - Pallavi trivedi photography, डिज़ायनिंग - Sunny Goswami
संपादक मंडल - सलाहकार संपादक Sudha Om Dhingra, प्रबंध संपादक Neeraj Goswamy, कार्यकारी संपादक Shaharyar, सह संपादक Parul Singh
अंक की पीडीऍफ डाउनलोड करने हेतु लिंक
http://www.filehosting.org/file/details/586646/SHIVNA%20SAHITYIKI%20%20JULY%20SEPTEMBER%202016.pdf
आपकी प्रतिक्रियाओं का इंतज़ार रहेगा
संपादक

"शिवना साहित्यिकी"का अक्टूबर-दिसम्बर अंक

$
0
0

शिवना प्रकाशन की त्रैमासिक पत्रिका "शिवना साहित्यिकी" का अक्टूबर-दिसम्बर अंक अब ऑनलाइन उपलब्‍ध है। अंक में शामिल हैं
आवरण कविता तथा अवरण चित्र / पल्लवी त्रिवेदी Pallavi Trivedi , संपादकीय Shaharyar , व्यंग्य चित्र / काजल कुमार Kajal Kumar , शख़्सियत (मलका नसीम) डॉ. विजय बहादुर सिंह Vijay Bahadur Singh , कविताएँ - कुछ नज़्में / राजेश मिश्रा @raj , दो कविताएँ / रोज़लीन , कहानी- सेंसलेस / महेश शर्मा Mahesh Sharma , आलोचना- राकेश बिहारी (तरुण भटनागर Tarun Bhatnagarकी कहानी पर एकाग्र) , फिल्म समीक्षा के बहाने - पिंक / वीरेन्द्र जैन Virendra Jain , डायरी- कृष्णा अग्निहोत्री Krishna Agnihotri , ग़ज़ल - इस्मत ज़ैदी Ismat Zaidi Shifa‘शिफ़ा’, ख़बर-कथा - हेलो कौन भावना दीदी / समीर यादव Sameer Yadav , पेपर से पर्दे तक... / कृष्णकांत पंड्या Krishna Kant Pandya , समीक्षा- पाँच विधाएँ - पंच कन्याएँ ( Neelesh Raghuwanshi, Pragya Rohini, Pallavi Trivedi, Joyshree Roy, angha joglekar) सौरभ पाण्डेय Saurabh Pandey / निकला न दिग्विजय को सिकंदर Zaheer Qureshi , दिविक रमेश Divik Ramesh / शुक्रगुज़ार हूँ दिल्ली Santosh Shreyaans , अमृतलाल मदान Amrit Lal Madan / छुअन Nijhawan Vikeshतथा अन्य कहानियाँ , महेश कटारे Mahesh Katare / उत्तरायण @sudershan Priydarshini , पड़ताल- बाल-रंगमंच : सम्भावनाएँ और चुनौतियाँ / डॉ. प्रज्ञा Pragya Rohini, डिज़ाइन Sunny Goswami
संरक्षक तथा प्रधान संपादक Sudha Om Dhingra, प्रबंध संपादक Neeraj Goswamy, संपादक Pankaj Subeer, सह संपादक Parul Singh, कार्यकारी संपादक Shaharyar
प्रिंट कॉपी भी शीघ्र ही आपके हाथों में होगी ।
डाउनलोड लिंक

पंकज सुबीर के चर्चित उपन्यास "अकाल में उत्सव"की आकाशवाणी के इन्द्रप्रस्थ चैनल से प्रकाशित समीक्षा। समीक्षक हैं सुप्रस्द्धि कहानीकार, समीक्षक तथा आलोचक डॉ. प्रज्ञा।

शिवना साहित्यिकी का जनवरी-मार्च 2017 अंक

$
0
0

      मित्रों, संरक्षक तथा सलाहकार संपादक सुधा ओम ढींगरा Sudha Om Dhingra, प्रबंध संपादक नीरज गोस्वामी Neeraj Goswamy , संपादक पंकज सुबीर तथा सह संपादक पारुल सिंह Parul Singhके संपादन में शिवना साहित्यिकी का जनवरी-मार्च 2017 अंक अब ऑनलाइन उपलब्धl है। इस अंक में शामिल है :- आवरण चित्र पल्लवी त्रिवेदी Pallavi Trivedi, आवरण कविता / लालित्य ललित Lalitya Lalit  संपादकीय शहरयार Shaharyar  व्यंग्य चित्र / काजल कुमार Kajal Kumar  संस्मरण नासिरा शर्मा Nasera Sharma (सौजन्य गीताश्री Geeta Shree)  कविताएँ, कुछ कविताएँ सरहद पार से.. ज़ेबा अल्वी । कहानी दिलों की एक आवाज़ ऊपर उठती हुई ... मुकेश वर्मा Mukesh Verma  आलोचना राकेश बिहारी Ravi Buleyकी कहानी पर । फिल्म समीक्षा के बहाने, दंगल, वीरेन्द्र जैन Virendra Jain  पुस्तक-आलोचना, सत्कथा कही नहीं जाती, क्यों?, संतोष चौबे Santosh Choubey  डायरी, धरमिंदर पाजी दा जवाब नहीं, नीरज गोस्वामी Neeraj Goswamy  पेपर से पर्दे तक..., कृष्णकांत पंड्या Krishna Kant Pandya  यात्रा-वृत्तांत, अंडमान निकोबार द्वीप, संतोष श्रीवास्तव Santosh Srivastava, समीक्षा, महेश दर्पण Mahesh Darpan / डेक पर अँधेरा / हीरालाल नागर Hiralal Nagar , सरिता शर्मा / पृथ्वी को हमने जड़ें दीं / नीलोत्पल Neelotpal Ujjain , जया जादवानी Jaya Jadwani / नक़्क़ाशीदार केबिनेट/ सुधा ओम ढींगरा Sudha Om Dhingra , हृदेश सिंह/ वाबस्ता / पवन कुमार Pawan Kumar Ias , महत्त्वपूर्ण पुस्तकें, तीन विधाएँ, तीन लेखक, तीन पुस्तकें / लता सुरगाथा- यतीन्द्र मिश्र Yatindra Mishra , हाशिये का राग- सुशील सिद्धार्थ Sushil Siddharth , चांद डिनर पर बैठा है- स्वप्निल तिवारी Swapnil Tiwari  पड़ताल- शिवना पुस्तक विमोचन समारोह Partap Sehgalप्रेम जनमेजयSushil SiddharthPragya RohiniJyoti JainSuryakant NagarNirmla KapilaNeeraj GoswamyParul SinghSudha Om Dhingra , तरही मुशायरा Nusrat MehdiNeeraj GoswamyTilak Raj KapoorIsmat Zaidi ShifaSaurabh Pandeyगिरीश पंकज kumar Prjapati धर्मेन्द्र कुमार सिंहDigamber Naswa naveen chaturvedi Devi NangraniSanjay DaniAshwini RameshPooja Bhatia sandhya rathore prasad dinesh kumar anshul tiwari नकुल गौतमPankaj Subeer  डिज़ायनिंग सनी गोस्वामी Sunny Goswamiआपकी प्रतिक्रियाओं का संपादक मंडल को इंतज़ार रहेगा। पत्रिका का प्रिंट संस्करण भी समय पर आपके हाथों में होगा।
      ऑन लाइन पढ़ें

    http://www.slideshare.net/shivnaprakashan/shivna-sahityiki-january-march-2017
    https://issuu.com/shivnaprakashan/docs/shivna_sahityiki_january_march

    शिवना साहित्यिकी का अप्रैल-जून 2017 अंक अब ऑनलाइन उपलब्धl है।

    $
    0
    0

    मित्रों, संरक्षक तथा सलाहकार संपादक सुधा ओम ढींगरा Sudha Om Dhingra, प्रबंध संपादक नीरज गोस्वामी Neeraj Goswamy , संपादक पंकज सुबीर Pankaj Subeer , कार्यकारी संपादक- शहरयार Shaharyarतथा सह संपादक पारुल सिंह Parul Singhके संपादन में शिवना साहित्यिकी का अप्रैल-जून 2017 अंक अब ऑनलाइन उपलब्धl है। इस अंक में शामिल है संपादकीय, शहरयार। व्यंग्य चित्र -काजल कुमार Kajal Kumar। कविताएँ- तनवीर अंजुम Tanveer Anjum , वंदना मिश्र , जया जादवानी Jaya Jadwani। शख़्सियत - होता है शबोरोज़ तमाशा मिरे आगे, सुशील सिद्धार्थ Sushil Siddharth। कहानी- नीला.....नहीं शीला आकाश, अमिय बिन्दु Amiya Bindu। फिल्म समीक्षा के बहाने- जौली एलएलबी, वीरेन्द्र जैन Virendra Jain। आवरण चित्र के बारे में....- गेंद वाला फोटो / पल्लवी त्रिवेदी Pallavi Trivedi। ख़बर कथा एक थी सोफिया और बिखरे सपने , ब्रजेश राजपूत Brajesh Rajput। पुस्तक-आलोचना- उजली मुस्कुराहटों के बीच / डॉ. शिवानी गुप्ता विमलेश त्रिपाठी। पुस्तकें इन दिनों.... - छल / अचला नागर Achala Nagar , पकी जेठ का गुलमोहर / भगवान दास मोरवाल भगवानदास मोरवाल , भ्रष्टाचार के सैनिक / प्रेम जनमेजय। कथा-एकाग्र- शकील अहमद। समीक्षा- डॉ. सुशील त्रिवेदी / जलतरंग, माधुरी छेड़ा / गीली मिट्टी के रूपाकार। एक कहानी, एक पत्र.... Prem Bhardwajसुधा ओम ढींगरा। पड़ताल नया मीडिया : नया विश्व, नया परिवेश, डॉ. राकेश कुमार Rakesh Kumar। तरही मुशायरा ( Nusrat MehdiRajni Malhotra NayyarRakesh KhandelwalBhuwan NistejNirmal Sidhuधर्मेन्द्र कुमार सिंहDigamber Naswa @gurpreet singh @nakul gautam Dwijendra DwijGirish Pankaj @anshul tiwari Pawan Kumar IasNeeraj GoswamyTilak Raj Kapoor @anita tahzeeb @ Saurabh PandeyParul Singh @mustafa mahir Ashwini RameshMansoor Ali HashmiPankaj Subeer @sudheer tyagi Madhu Bhushan Sharma। आवरण चित्र- पल्लवी त्रिवेदी Pallavi Trivedi - डिज़ायनिंग-सनी गोस्वामी Sunny Goswami
    आपकी प्रतिक्रियाओं का संपादक मंडल को इंतज़ार रहेगा। पत्रिका का प्रिंट संस्करण भी समय पर आपके हाथों में होगा।
    ऑन लाइन पढ़ें

    https://www.slideshare.net/shivnaprakashan/shivna-sahityiki-april-june-2017-for-web
     https://issuu.com/shivnaprakashan/docs/shivna_sahityiki_april_june_2017_fo

    Viewing all 165 articles
    Browse latest View live